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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के सिद्धान्त बताइए।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के सिद्धान्त
Principles of Development of International Understanding
शिक्षा-शास्त्रियों ने कई सिद्धान्तों गिनाये हैं जिनके पालन से परस्पर प्रेम तथा सद्भावना का विकास हो सकता है तथा मैत्री विश्वबन्धुत्व एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को बढ़ाया जा सकता है। उनमें से प्रमुख सिद्धान्त निम्न है -
1. स्वतन्त्र विचार का सिद्धान्त,
2. परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त,
3. विश्व संस्कृति के प्रसार का सिद्धान्त,
4. सहनशीलता का सिद्धान्त,
5. आत्मनिर्भरता का सिद्धान्त,
6. सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धान्त।
सन् 1949 में यूनेस्को (Unesco) ने अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के लिए निम्न सिद्धान्त बनाये हैं -
1. सामाजिक विज्ञान के अध्ययन में मानव के व्यक्तित्व के विकास के सम्बन्ध का अध्ययन करना चाहिए।
2. वर्तमान विश्व की किसी भी समस्या के किसी भी अंग में रुचि लेन के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
3. सामाजिक विज्ञान के अध्ययन में संसार के समस्त प्रमुख अंगो के अध्ययन पर ध्यान देना चाहिए।
4. सामाजिक विज्ञान के पढ़ने में भिन्न-भिन्न मानव समुदायों के परस्पर सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्धों पर विशेष बल देना चाहिए।
5. सामाजिक विज्ञान के अध्ययन में नागरिकता की शिक्षा प्रदान करने के हेतु, कक्षा, विद्यालय एवं समाज को प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
6. सामाजिक विज्ञानों के अध्ययन में बालकों में आलोचनात्मक तर्क शक्ति के विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
7. सामाजिक विकास के अध्ययन में आवश्यक मनोवृत्तियाँ एवं कौशल के विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
8. सामाजिक विज्ञानों के अध्ययन में सामाजिक घटनाओं, तनावों एवं सहकारिता सम्बन्धी समस्याओं पर विचार करना चाहिए।
9. विश्व के भूगोल के अध्ययन पर जोर देना चाहिए।

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